देखभाल के वर्ष
2016 में सुबह के समय कहीं हवन करने के लिए मैं जा रहा था रास्ते में जंगल में कोई गाय माता बुरे हालात में पड़ी हुई देखा पर हवन करने के लिए विलंब हो रहा था मैं सोचता हुआ निकल गया वापसी में वहां पर आकर रुका तो देखा किसी डेरी वाले ने उस गाय को जिंदगी गाय को जंगल में फेंक दिया था जो खड़ी नहीहो पा रही थी उसी समय उस गाय की सेवा में लग गया अपने सहयोगियों को बुलाया उसका उपचार शुरू किया उसके ऊपर तंबू लगाया एक हफ्ता सेवा किया धीरे-धीरे पूरे एरिया को पता चला तो किसी ने नेतागिरी करते हुए गाय को काजी हाउस भेज दिया उसके बाद हम लोग काजी हाउस जाकर देखें तो गाय और बुरे हालात में फेंकी हुई थी हमने उसको उठाकर वापस ले आए एकादश मुखी हनुमान मंदिर जामुन वाले में रख के उपचार करने लगे एक हफ्ता के बाद गौ माता ने मुक्ति ले लिया उसकी ते रवी भी हनुमान जयंती के दिन पड़ी जिस दिन उस मंदिर में विशाल भंडारा था तब से ही हमने घायल पशुओं का उपचार करना शुरू कर दिया वृद्ध गायों को छोटे बच्चों को उठाकर लाना उसको पालना घायल पशुओं का उपचार वहीं पर जाकर करना अब अब तक 4 5 पशुओं का उपचार कर चुके हैं 20 पशुओं को उठाकर गौशाला ला चुके हैं चुके हैं 12 पशु लोगों के द्वारा भेजे गए हैं अब गौ सेवा ही जीवन का लक्ष्य बना लिया है सभी सहयोगियों के सहयोग से धीरे-धीरे यह कार्य बढ़ता ही जाएगा हम अपने स्वभाव के कारण पशुओं के दर्द देख नहीं सकते इसकी कोई सीमा नहीं है आए दिन कहीं ना कहीं गाय कुत्ते घोड़े खच्चर दुख दर्द में दिखाई देते हैं प्रताड़ित अवस्था में दिखते हैं अपनी सेवा करने की सामर्थ्य सीमित है अब सहयोगियों के सहयोग से इस कार्य को धीरे-धीरे बढ़ाते जा रहे हैं
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